कुण्डलियाँ
आतंकित इस विश्व का राजा हो या रंक।
करता लहू-लुहान है सबको यह आतंक।।
सबको यह आतंक मिटाएं सब मिलकर हम।
इन आतंकवादियों से ज्यादा हम सक्षम।
विश्वशांति के लिये स्वयं को करें समर्पित।
अब न विश्व का एक व्यक्ति भी हो आतंकित।।
०मधुसूदन दीक्षित०