मैं भारत हूँ
शुचि वेद मंत्र नित आत्म भरे
मैं सत्य सनातन भारत हूँ ।
मैं विजय पताका धर्मों की
मैं सिंधु सभ्यता शाश्वत हूँ ।।
शोभित है भाल हिमालय-सा
हिय में पावन गंगा धारा ।
मनु वंशज भरत,ऋषभ- आत्मज
मैं शक्ति एकता का नारा ।।
मैं संस्कृत भाषा संस्कारित
अध्यात्म ज्योति आलोकित हूँ ।
शुचि वेद मंत्र ………………….।।
हर भेद-भाव को छोड़,विश्व-
का ज्ञान गुरू कहलाता हूँ।
आँखों में लेकर जग-पीड़ा
जनतांत्रिक राग सुनाता हूँ ।।
हर धड़कन में,मैं धड़क रहा
उज्ज्वल स्वरूप में अविगत हूँ ।
शुचि वेद……………………।।
मानस का चिंतन प्रगतिशील
सम्पन्न हृदय संघर्षों से
गरिमा मंडित इतिहास पूज्य
जय सत्यमेव उत्कर्षो से ।।
सांस्कृतिक धरोहर स्वर्ण कलश
निष्ठा से नित्य सदाव्रत हूँ ।
शुचि वेद मंत्र……………….।।
डा. सुनीता सिंंह ‘सुधा’
मौलिक स्वरचित सृजन
वाराणसी