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24 Jun 2024 · 1 min read

कुछ

कुछ

कुछ सुना करो कुछ कहा करो।
कुछ गुना करो कुछ सहा करो।
कुछ गला करो कुछ भला करो।
कुछ मिला करो कुछ चला करो।
कुछ आँख मिला कर मला करो।
कुछ दांत दिखा कर हँसा करो।
कुछ बात बना कर घुला करो।
प्रिय राह दिखा कर फला करो।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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