कुछ
कुछ
दास्तानें मोहब्बत की
नहीं दर्ज होती कहीं
नहीं लिखी जाती कागज पर
गीत गजल या अशआर बनकर
समय की देह पर
लिखी जाती हैं
वो दास्तानें
जिन्हें समय ही पढ़कर
मिटा दिया करता है
ये
सोई हुईं ज्वालामुखियाँ होती हैं
अगर
हो गईं जागृत
तो सर्वनाश
तय है….