कुछ सूझै तो बताना
झूठ वह बोलता है,
सपने झूठे दिखाता,
बातें फिजूल,वह करता,
जिम्मेदारी नहीं ली कभी,
जवाबदेही तौबा तौबा,
सुनता नहीं,
पढ़ देता है बस लिखे भाषण,
पद है, मगर प्रतिष्ठा हवा हवाई,
नजर कहीं, निशाने कहीं,
पैसा पैसा और पैसा,
जनता की जेब में बहुत है पैसा,
प्रबंधन चाहिए इनको वैसा,
बारह बाट हुआ,रूठ गया साया,
बताओ क्या खोया, क्या पाया.
पहेली सुलझ गई, सुलह होग्या,