कुछ सामयिक हाइकु
1.सूने शहर
जेठ की दोपहर
शिथिल स्वर
2.
कान पकड़
दहकती हवा ने
मारे थप्पड़
3.
सूरज दादा
गुस्से से बौखलाए
कौन बचाये
4.
पक्षी विकल
तपती धरा पर
ढूँढ़ते जल
5.
जल – जंगल
उपजाऊ भू-भाग
ढूँढेगा कल
(जगदीश शर्मा)
1.सूने शहर
जेठ की दोपहर
शिथिल स्वर
2.
कान पकड़
दहकती हवा ने
मारे थप्पड़
3.
सूरज दादा
गुस्से से बौखलाए
कौन बचाये
4.
पक्षी विकल
तपती धरा पर
ढूँढ़ते जल
5.
जल – जंगल
उपजाऊ भू-भाग
ढूँढेगा कल
(जगदीश शर्मा)