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2 Nov 2022 · 1 min read

कुछ सवाल

कुछ सवाल आज भी सताते है
यूँ ही नही हम ये राज़ बताते है।
सुरमई शाम जब भी आसमान की
आंखों में उभर कर आती है
कुछ धुंधलका सा न जाने क्यों
मेरी यादों में समा जाता है
बैचैन कर देता है दूर क्षितिज में
धरती आसमान का मिलन
न जाने कितनी आंखों में
एक आस जगा जाता है।
मनु श्वेता “मनु”

Language: Hindi
1 Like · 381 Views
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