कुछ विचार
धन स्वार्थ को आकर्षित करता है जबकि व्यक्तित्व यथार्थ को आकर्षित करता है।
अनजाने मे की गई भूल गलती होती है परंतु जानबूझकर की गई गलती अपराध की श्रेणी में आती है।
पाप और पुण्य का आकलन मंतव्य से होता है न कि मात्रा से।
संस्कारी व्यक्ति वह कमल होता है जो पाप के कीचड़ में भी अपने व्यक्तित्व को निरापद रखता है।
सच्चा गुरु वह प्रकाश पुंज है जो जीवन के अंधकार में पथ प्रदर्शक बनता है।