कुछ लिखा हू तुम्हारी यादो में
कुछ लिख हू तुम्हारी यादो में
कुछ लिखा हू तुम्हारी यादो में
कुछ इस पल के गीतों में
कुछ बीते हू वादों में
कुछ तुम्हारी चूड़ी में
कुछ कंगन की आवाजों में
कुछ मन्त्रमुग्ध तुम्हारी बोली में
कुछ तालतम्य तुम्हारी रागो में
कुछ बिछड़न की तन्हाई में
कुछ मिलने के मधुर इरादों में
कुछ ढहते सूरज की लाली में
कुछ चाँद की मोहक रातो में
कुछ तुम्हारी हथेली की मेहंदी में
तो कुछ हथेली में लिखें मेरे नामो में
बस कुछ लिख देता हू देव को
शिवा तुम्हरी वक़्त बेवक़्त यादो में
# देवशिवा