कुछ लम्हें ऐसे गुज़रे
कुछ लम्हें ऐसे गुज़रे
कुछ एहसास ऐसे बीते ।
कभी ली गुलों की ख़ुशबू
कभी बारिशों में भीगे ॥
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
कुछ लम्हें ऐसे गुज़रे
कुछ एहसास ऐसे बीते ।
कभी ली गुलों की ख़ुशबू
कभी बारिशों में भीगे ॥
डाॅ फौज़िया नसीम शाद