कुछ राज़ बताए थे अपनों को
कुछ राज़ बताए थे अपनों को
ना जाने कैसे वो सरेआम हो गए
या तो हमने गलत समझ लिया वे अपने थे
या फिर सच में दीवारों के कान हो गए
कुछ राज़ बताए थे अपनों को
ना जाने कैसे वो सरेआम हो गए
या तो हमने गलत समझ लिया वे अपने थे
या फिर सच में दीवारों के कान हो गए