कुछ भी बिना प्रयस
जीवन मे मिलता नही,कुछ भी बिना प्रयास !
आया है कब खुद कुआँ,प्यासे के चल पास !!
रही निकलती शायरी,तब तक बिना हिसाब !
जब तक मुखड़े पर रहा, उनके पडा नकाब ! !
रमेश शर्मा
जीवन मे मिलता नही,कुछ भी बिना प्रयास !
आया है कब खुद कुआँ,प्यासे के चल पास !!
रही निकलती शायरी,तब तक बिना हिसाब !
जब तक मुखड़े पर रहा, उनके पडा नकाब ! !
रमेश शर्मा