भारत विकासशीलता से विकसित दहलीज की ओर कैसे पहुंचे.
कितना आसान है.
किसी के पक्ष या विपक्ष में खड़े हो जाना.
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बहुत आसान है .
पसंद वा आराध्य का नाम लिख देना.
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क्यों मुश्किल है ??
जिम्मेदारी निभाना.
क्योंकि जिम्मेदारी में त्याग है.।
खुद के बारे में ख्याल त्यागने पड़ते हैं ।।
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पूर्ण आहुति है जिम्मेदारी.
और बाह्य तत्व माता-पिता, गुरु-आदि
भटक चुके है ।
अतः समाज की स्थिति आपातकाल पर है
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अप्प: दीपो भव: है उपाय ।।
और वह तब संभव है ।
अक्षर ज्ञान एवं विषयगत दबाव की बजाय
रुचिगत छिपी हुई प्रतिभा में निखार की ओर ध्यान दिया जाएगा ।
अन्यथा समाज एक विस्फोटक स्थिति की ओर बढ़ रहा है ।
वर्तमान शिक्षा सिर्फ अक्षर ज्ञान तक सीमित है प्रायोगिक असमर्थ ।
विज्ञान संकाय को निजी हाथो से बचाना होगा । व्यवसायिक विषय सिर्फ सरकारें ही संभाले ।।
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हमें बदलना ही होगा.
अस्तित्व सतत परिवर्तनशील है ।।
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“जीवन एक अभिव्यक्ति”
लेखक:-Dr Mahender