कुछ पुराने गीत
सप्त स्वर से जिंदगी के गीत गाते
दूसरों को सुख की जो चादर बिछाते
उनके जीवन में कभी न हो अँधेरा
इसलिए दीपक जलाता आ रहा हूँ
कुछ पुराने गीत गाता आ रहा हूँ
अंध कमरों की दीवारें बोलती हैं
अपने मन के राज गहरे खोलती हैं
जा सकें इनमें भी थो ड़ा सा उजाला
इसलिए जुगनू बुलाता आ रहा हूँ
कुछ पुराने गीत गाता आ रहा हूँ
जो गए परिवार के हित पेट भूखे
जिंदगी के स्वाद जिनको लगे रूखे
रक्त से रंजित न हो पग कंटकों से
पथों में कलियाँ बिछाता आ रहा हूँ
कुछ पुराने गीत गाता आ रहा हूँ
तटों पर बैठे बटोही पार जाने
शिथिल काया मन नहीं पर हार माने
फुरसतों में हाथ में पतवार लेकर
नाव नदियों में चलाता आ रहा हूँ
कुछ पुराने गीत गाता आ रहा हूँ