कुछ पल तेरे संग
कुछ पल तेरे संग
आओगे तुम करीब अगर,
रंगत दिल में आएगी।
हँसा जाएगी नफरतें बेशक,
मुहब्बत बड़ा रूलाएगी।
दे दोगी तुम गर दिल में आने की इजाज़त,
बेकरार दिल को भी तब करार आ जाएगा।
ज़िन्दगी के कुछ पल तेरे संग बीत जाए,
तो जीने का मज़ा ही कुछ और आएगा।।
समझोगी तुम जज़बात अगर,
धड़कनों में भी जान आएगी।
घुट-घुटकर जो मर चुकी ,
वो मुहब्बत जिन्दा हो जाएगी।
तेरा दिल की चौखट पर कदम रखना,
ज़रूर तड़पन और बेकरारी बढ़ाएगा।
ज़िन्दगी के कुछ पल तेरे संग बीत जाए,
तो जीने का मज़ा ही कुछ और आएगा।।
करोगी ढोंग मुहब्बत का,
खुद ही तुम ठग जाओगी।
रंग जाओगी मेरे रंग में,
तो रूह में समा जाओगी।
छोड़कर तन्हा चली गई थी तुम अचानक,
तेरा फिर से आना जिन्दगी को महकाएगा।
ज़िन्दगी के कुछ पल तेरे संग बीत जाए,
तो जीने का मज़ा ही कुछ और आएगा।।
रचनाकार– सुशील भारती, नित्थर, कुल्लू (हि.प्र.)