कुछ ना रहा
अब लौटने की कोई मेरे पास वजह ना रहा
जब कोई रिश्ता ना रहा तो कुछ ना रहा।
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अब उन बातों,उन वादों का कोई मतलब ना रहा
जब तेरे साथ ना रहा तो कुछ ना रहा ।।
सिसकती हैं रातें भी, तन्हा तेरी यादों में
जब रातों को सुकून ना रहा तो कुछ ना रहा ।।
बेमतलबी ज़मानों में, दिलावर दिवानो में
जब तेरा-मेरा कोई तलूकात ना रहा तो कुछ ना रहा।।
अब दुहाई ना दे इश्क की, ख़ुदा भी देख रहा होगा
जब प्यार ही ऐतवार के काबिल ना रहा तो दुनिया में कुछ ना रहा।।
मुहब्बत बहुत खूबसूरत उपहार है खुदा का
जब उसी का दिया उपहार साथ ना रहा तो कुछ ना रहा ।।
नीतू साह
हुसेना बंगरा, सीवान-बिहार