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21 Apr 2022 · 1 min read

*कुछ नहीं मेरा जगत में 【मुक्तक 】*

कुछ नहीं मेरा जगत में 【मुक्तक 】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
कुछ नहीं मेरा जगत में और कुछ लाया नहीं
इस धरा का इस जगत का क्या कहो खाया नहीं
ऋण सहस्त्रों पितृ ,जग के और मुझ पर देव के
सोचता हूँ कर्ज क्या कुछ शेष लौटाया नहीं
—————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
77 Views
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