******** कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो *********
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/2a379ed4bd20caaf14770b6f412285f1_bbaf83f713e984547101c6465b5febc3_600.jpg)
******** कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो *********
***************************************
चल दिये हम दो कदम,कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो,
भूल कर सारे भरम , कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो।
आ गई बरसात भी, प्यासा हृदय जलने लगा,
खिल उठा उजड़ा चमन,कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो।
छोड़ कर शिकवे – गिले, आओ हमारी रहगुजर,
बात पिछली कर ख़त्म,कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो।
बीत जाए ना घड़ी , अब मान आओ हमसफऱ,
बढ़ गई तन-मन तड़फ, कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो।
यार मनसीरत खड़ा , दीदार दो झट दो घड़ी,
हैँ खुली बाँहें सनम ,कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो।
***************************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)