कुछ दोहे
1
अबला कहकर मत करो, नारी का अपमान
निर्माता है सृष्टि की, नारी बड़ी महान
2
मन में हो चिंतन मनन, भावों पर हो शोध
तब होता है आंतरिक , सुंदरता का बोध
3
काम विदूषक का नहीं, होता है आसान
अधरों पर आती बड़ी, मुश्किल से मुस्कान
4
राधा के घनश्याम हैं, मीरा के हैं श्याम।
लेकिन रुक्मणि के लिये, मोहन चारों धाम।।
5
सागर जैसी ज़िन्दगी, जल ही जल है पास
लेकिन बुझती ही नहीं , फिर भी मन की प्यास
6
वक़्त तुझे कातिल कहूँ, या फिर वैद्य हकीम
देकर दुख करता दवा,तू है कड़वा नीम
7
गुरु हैं सूरज चंद्रमा, गुरु धरती आकाश
गुरु मन के संसार में, भरते दिव्य प्रकाश
8
जैसे इस संसार को, चमकाता आदित्य।
वैसे दिशा समाज को ,दिखलाता साहित्य।।
9
लेखन है इक साधना, नहीं हवा में तीर
बिरले ही बनते यहाँ, तुलसी सूर कबीर
10
क्षमा माँगने से नहीं, घटती खुद की शान
बनती बिगड़ी बात भी,क्षमा बड़ा है दान
11
शब्दों में ही ढाल दे, भावों का संसार
कविता मन के दर्द का, करती है उपचार
डॉ अर्चना गुप्ता