कुछ तकलीफ़ उन्होंने दे दी कुछ तकलीफ़ पुरानी है
मेरे दर्द भरे जीवन की इतनी फ़क़त कहानी है।
कुछ तकलीफ उन्होंने दे दी कुछ तकलीफ पुरानी है।।
कोई पूंछे तेरे दिल की शौके वफ़ा का हासिल क्या है
कोई कहे मझधार की कश्ती आखिर तेरा साहिल क्या है
बीच डगर में लुटने बाले तेरे सफर की मंजिल क्या है
सुख की खोज में निकला हूँ तो गम की लहर तो आनी है।
कुछ तकलीफ उन्होंने दे दी कुछ तकलीफ पुरानी है।।
अब तो यह आदत है मेरी जहर गमों का पीता हूँ
शौक नहीं जीने का फिर भी जिनकी खातिर जीता हूँ
मैं उनकी महफ़िल का लम्हा उनके बिना ही बीता हूँ
समझें ना वो हालत दिल की ये उनकी मनमानी है।
कुछ तकलीफ उन्होंने दे दी कुछ तकलीफ पुरानी है।।
रात न भायी अंधियारों को , मेरे संग आने की जिद की
उनको भी ठुकरा न सका मैं , सहमति देकर मैंने हद की
एक न बाँकी दिल मे हसरत ,खुद के लिए भले या बद की
मैं मरता हूँ मरूँ किसी की क्यों आँखों मे पानी है ?
कुछ तकलीफ उन्होंने दे दी कुछ तकलीफ पुरानी है।।
आखिरी दम जब निकले मेरा तब तक साथ निभाना तू
जी भर के सह तो लूँ तुझको ऐ गम थोड़ा रुक जाना तू
सही मायने प्यार वफ़ा के टूटे दिल को समझाना तू
तुझको भी तो मेरी वफ़ा की कीमत अभी चुकानी है।
कुछ तकलीफ उन्होंने दे दी कुछ तकलीफ पुरानी है।।
संजय नारायण