कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
पर पीछे की जिम्मेदारी कहती है तुझे जीना होगा।
अब इसी द्वव्ंद में जी भी रहे हैं ,
हर कदम मर भी रहे हैं यह सोच के की अब क्या होगा।।
होना तो वही है जो ऊपर वाले की कलम से लिखा है ।
अब यह भार ऊपर वाले पर है की उसने क्या लिखा होगा।।