प्रीत निभाते रहे
कुछ इस तरह से वो प्रीत निभाते रहे।
हम तड़पते रहे वो मुस्कुराते रहे।
जब भी देखो तन मन को जख्मी करके-
फिर नमक भरे हाथों से सहलाते रहे।
-लक्ष्मी सिंह
कुछ इस तरह से वो प्रीत निभाते रहे।
हम तड़पते रहे वो मुस्कुराते रहे।
जब भी देखो तन मन को जख्मी करके-
फिर नमक भरे हाथों से सहलाते रहे।
-लक्ष्मी सिंह