कुछ इस कदर जलने लगे हैं..
लोग हमसे कुछ इस कदर जलने लगे हैं
महफ़िल खुद की सजा कर, चर्चे हमारे करने लगे हैं
खुश हूँ मैं ये जानकर..
कि नफरत से ही सही, पर उनकी जुबां पर मेरा नाम तो है
वैसे तो निठल्ले थे वो, अब तो कुछ काम करने लगे हैं..
आकाश त्रिपाठी (जानू)