कुछ आजाद मुक्तक
ना बर्दास्त कर मुझे,
जीने के लिए,
मैं ना-बर्दास्त हूँ,
जीवन के लिए..।
ना उम्मीद हो गया है,
जीवन मुझसे,
मैं बुझा चिराज हूँ,
तेरे अंधेरों के लिए..।
दाग समझ और मिटा दे मुझे,
रूह से अपने,
मैं दागदार हूँ,
जीवन के हर लिबास के लिए..।
तुझे डर है मुझसे,
इस जीवन का,
मुझे डर है तुझसे,
ना जुड़ जाऊं हर जनम के लिए..।
कोशिशें लाख की है मैंने,
दूर रहूँ तुझसे,
पर क्या कहूँ,
तू हवा बन गयी है मेरी साँसों के लिए..।