कुण्डलिया
अभिमन्यु है बना दिया , बालक था नादान ।
उस कुल को भाया नहीं, था जिस कुल की शान।।
था जिस कुल की शान , उसी ने मुझे मिटाया ।
मैं बालक नादान , मुझे तो बड़ा सताया ।।
कह बव्वा कविराय , भेंट में चढ़ा दिया है।
बालक था नादान , अभिमन्यु बना दिया है ।।