कुंडलिया. . .
कुंडलिया. . .
राहें देंगी लक्ष्य तक, राही तेरा साथ ।
पर यकीन से छोड़ना, कभी न अपना हाथ ।
कभी न अपना हाथ ,कहाँ तक होंगी रातें ।
चीर तिमिर को भोर , आस की होंगी बातें ।
पा लेंगे हर लक्ष्य , अगर हम दिल से चाहें ।
टूटेंगे अवरोध , लक्ष्य तक होंगी राहें ।
सुशील सरना / 12-11-24