कुंडलिया
कुंडलिया
कितना ही वादा करे, नेता चाहे आज ।
नग्न नयन के स्वप्न तो, टूटें बिन आवाज ।
टूटें बिन आवाज ,आँख से आँसू बहते ।
घुट-घुट सहते दर्द , किसी से कभी न कहते ।
दर्द निवारक बाम, काम कब करती उतना ।
वादों पर विश्वास , करें हम आखिर कितना ।
सुशील सरना / 11-8-24