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20 Jun 2024 · 1 min read

कुंडलिया

कुंडलिया

तपता वातावरण है,कण कण जलता आज।
गर्मी का मौसम कुटिल,विकट निंद्य नाराज।।
विकट निंद्य नाराज,सभी को बहुत जलाता।
पीता सबका रक्त,धरा पर रंग जमाता।।
कहें मिश्र कविराय,तपिश से जीवन जलता।
भानु हुए स्वच्छंद,गर्म से सब कुछ तपता।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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