कुंडलिया. . .
कुंडलिया. . .
जीवन जीने के सभी, बिगड़ गए अनुपात ।
उधर लुड़कते लोग अब, झुकती जिधर परात ।
झुकती जिधर परात , सभी हैं अवसरवादी ।
फेरे लेते सात , निभे ना फिर भी शादी ।
भरे हुए हैं आज , झूठ से सबके सीने ।
आडम्बर में लोग, लगे अब जीवन जीने ।
सुशील सरना / 5-5-24