कुंडलिया
कुंडलिया छंद
सत्ता पर कब्जा करें ,जोड़-तोड़ में दक्ष।
क्या होगा जनतंत्र का ,है यह प्रश्न समक्ष।।
है यह प्रश्न समक्ष ,सोचते सब मतदाता।
देकर जिनको वोट,बनाया भाग्य विधाता।
नीति नियम सिद्धांत,त्याग दें वे अलबत्ता।
सोचें कर गठजोड़ ,मिलेगी कैसे सत्ता।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय