Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jan 2024 · 1 min read

कुंडलिया

कुंडलिया छंद
सत्ता पर कब्जा करें ,जोड़-तोड़ में दक्ष।
क्या होगा जनतंत्र का ,है यह प्रश्न समक्ष।।
है यह प्रश्न समक्ष ,सोचते सब मतदाता।
देकर जिनको वोट,बनाया भाग्य विधाता।
नीति नियम सिद्धांत,त्याग दें वे अलबत्ता।
सोचें कर गठजोड़ ,मिलेगी कैसे सत्ता।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

1 Like · 2 Comments · 79 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3178.*पूर्णिका*
3178.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#अनुभूत_अभिव्यक्ति
#अनुभूत_अभिव्यक्ति
*प्रणय प्रभात*
गीत
गीत
Shiva Awasthi
तुम्हारा दूर जाना भी
तुम्हारा दूर जाना भी
Dr fauzia Naseem shad
दीवाली की रात आयी
दीवाली की रात आयी
Sarfaraz Ahmed Aasee
दशहरा पर्व पर कुछ दोहे :
दशहरा पर्व पर कुछ दोहे :
sushil sarna
उत्तंग पर्वत , गहरा सागर , समतल मैदान , टेढ़ी-मेढ़ी नदियांँ , घने वन ।
उत्तंग पर्वत , गहरा सागर , समतल मैदान , टेढ़ी-मेढ़ी नदियांँ , घने वन ।
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
होता ओझल जा रहा, देखा हुआ अतीत (कुंडलिया)
होता ओझल जा रहा, देखा हुआ अतीत (कुंडलिया)
Ravi Prakash
अपेक्षा किसी से उतनी ही रखें
अपेक्षा किसी से उतनी ही रखें
Paras Nath Jha
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
Shivkumar Bilagrami
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
Dr MusafiR BaithA
"वक्त के पाँव"
Dr. Kishan tandon kranti
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
Rituraj shivem verma
हिंदी गजल
हिंदी गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
​दग़ा भी उसने
​दग़ा भी उसने
Atul "Krishn"
जिसके मन तृष्णा रहे, उपजे दुख सन्ताप।
जिसके मन तृष्णा रहे, उपजे दुख सन्ताप।
अभिनव अदम्य
कवियों की कैसे हो होली
कवियों की कैसे हो होली
महेश चन्द्र त्रिपाठी
वासियत जली थी
वासियत जली थी
भरत कुमार सोलंकी
मोह मोह के चाव में
मोह मोह के चाव में
Harminder Kaur
बड़ी सादगी से सच को झूठ,
बड़ी सादगी से सच को झूठ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
गुमनाम 'बाबा'
“गणतंत्र दिवस”
“गणतंत्र दिवस”
पंकज कुमार कर्ण
सोचना नहीं कि तुमको भूल गया मैं
सोचना नहीं कि तुमको भूल गया मैं
gurudeenverma198
इक ऐसे शख़्स को
इक ऐसे शख़्स को
हिमांशु Kulshrestha
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
बंधन
बंधन
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
सच्चे प्रेम का कोई विकल्प नहीं होता.
सच्चे प्रेम का कोई विकल्प नहीं होता.
शेखर सिंह
💜💠💠💠💜💠💠💠💜
💜💠💠💠💜💠💠💠💜
Manoj Kushwaha PS
जवानी में तो तुमने भी गजब ढाया होगा
जवानी में तो तुमने भी गजब ढाया होगा
Ram Krishan Rastogi
भारत शांति के लिए
भारत शांति के लिए
नेताम आर सी
Loading...