कुंडलिया – होली
कुंडलिया – होली
होली बीती हो गई, सब के मन की बात ।
गालों पर जीवित रही, रंगों की सौगात ।।
रंगों की सौगात , भला दिल कैसे भूले ।
गल बांहों का हार, नशे में यह दिल झूले ।।
कह ‘ सरना ‘ कविराय, फाग में भीगी चोली ।
अंग- अंग को याद , रहेगी नटखट होली ।।
सुशील सरना / 27-3-24