कुंडलिया – रंग
कुंडलिया – रंग
कैसे ढूँढूँ साजना , अपने मन का रंग ।
रंग – रंग में मन उड़े, नव आशा के संग ।
नव आशा के संग , रंग सब मन को भाते ।
सदा प्यार का पाठ , जीव को खूब पढ़ाते ।
मन के सारे रंग , धरा पर उतरे जैसे ।
अन्तर्मन की बात, कहे दिल उनसे कैसे ।
सुशील सरना / 22-3-24