कुंडलिया छंद
आया मौसम शीत का, ठिठुर रहे हैं गात।
उछल- कूद बच्चे करें ,दें ठंड़क को मात।
दें ठंडक को मात ,सभी को ये समझाएँ।
बैठें जला अलाव ,देह को सेंक लगाएँ।
बढ़ी मुसीबत बहुत ,काँपती थर-थर काया।
त्वचा हो गई शुष्क,लेप भी काम न आया।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय