कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद-
खोया – सा मन बावरा, तके बैठकर राह।
सूना- सूना जग लगे ,मिले न दुख की थाह।
मिले न दुख की थाह,पिया की याद सताती।
बैठी तकती राह ,दुखी हो समय बिताती।
सूख गए हैं अश्रु , बहे हैं इतना गोया।
नहीं धरे मन धीर ,पिया में रहता खोया।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय