कुंडलिया छंद
अपना हो या गैर हो ,माँगें सबकी खैर।
पड़ते नहीं ज़मीन पर,अब भक्तों के पैर।
अब भक्तों के पैर ,अयोध्या ओर मुड़े हैं।
जाति-धर्म को छोड़,राम के भक्त जुड़े हैं।
हुआ सभी का पूर्ण,राम मंदिर का सपना।
जपो राम जय राम,मंत्र ये पावन अपना।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय