कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद*
कोरे भाषण से नहीं ,भरता साहब पेट।
भूख गरीबी का करो,अब थोड़ा आखेट।
अब थोड़ा आखेट ,जरूरी है दुश्मन का।
ऐसा करो इलाज,दूर हो भ्रम हर मन का।
लेकर डिग्री हाथ , घूमते छोरी – छोरे।
उनको दे दो काम ,नहीं दो भाषण कोरे।।
डॉ बिपिन पाण्डेय