कुंडलिया छंद
लैला का वह सर्वदा ,लेता है दिल जीत।
उसके सम्मुख बोलता,जो लव यू के गीत।
जो लव यू के गीत,सभी को नित्य सुनाए।
हर लड़की के साथ,प्यार के पेंग बढ़ाए।
सूट- बूट को पहन ,बना फिरता है छैला।
एक यही अरमान,मिले उसको भी लैला।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय