कुंडलिया छंद
पूरा उसको कीजिए, काम लिया जो हाथ।
पता नहीं कल काल ये ,कितना देगा साथ।
कितना देगा साथ ,कौन ये रब ही जाने।
क्या स्थिति हो उत्पन्न,रार जो हर-पल ठाने।
कल पर छोड़ा काम , हमेशा रहे अधूरा।
जिसको करते आज ,वही होता है पूरा।।1
सूना- सूना सा लगे ,जग का कारोबार।
सूरत उसकी देख जब ,मैं बैठा दिल हार।
मैं बैठा दिल हार,नशीली चितवन चंचल।
गई हृदय को वेध ,रुलाती रहती हर-पल।
चली गई मुँह फेर,किया दुख उसने दूना।
हुआ कठिन निर्वाह,लगे मन – मंदिर सूना।।2
डाॅ बिपिन पाण्डेय