कुंडलिया छंद
जाकर पूछो तो कभी ,कैसे मित्र मिजाज।
औषधि से हर मर्ज का,होता नहीं इलाज।
होता नहीं इलाज,प्रेम से बढ़कर कोई।
यह सच्ची है बात ,नहीं है किस्सागोई।
अपनेपन के गीत,कभी तो देखो गाकर।
होते सब दुख दूर,पास अपनों के जाकर।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय