कुंडलिया छंद
सादर नमन
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न्यायपालिका ने किया, सुंदर सा उदघोष।
हरि जीते सँग में खुदा, हुआ परम संतोष।।
हुआ परम संतोष, फैसला सुंदर आया।
हुआ नहीं अन्याय, सभी के मन को भाया।।
बने राम का धाम, सजाओ दीप मालिका।
करें सभी सम्मान,जयति जय न्यायपालिका।।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’