कुंडलियां
आज की कुण्डलिया
अजगर सर्विस ना करे , पंछी करे न वर्क ।
वेतन मिलता रहेगा , किंचित पड़े न फर्क ।।
किंचित पड़े न फर्क , समय की है बलिहारी ।
पगला बनकर रहो , सीख लो सब मक्कारी ।
कह पाण्डे कविराय , जोर से बोलो हर हर ।
माल देश का रोज , निगलते कितने अजगर ।।
सतीश पाण्डे