कुंडलियां
कुंडलियां
सृजन शब्द-मार्ग दिखाओ
मार्ग दिखाओ शंकरा, राह गयी मैं भूल ।
नयन चिंताओं से भरे, हृदय चुभे हैं शूल।।
हृदय चुभे हैं शूल,आँख से आँसू बहते।
मार्ग रही मैं ढूँढ़, साथ नहिँ अपने चलते।।
सीमा कहती ईश,दुखों में साथ निभाओ।
भटके फिरते लोग,शिवा तुम मार्ग दिखाओ।।
मार्ग दिखाओ साँवरे, तुम्हीं बढ़ाओ हाथ।
सभी पराये दीखते,कौन निभाये साथ।।
कौन निभाये साथ,यहाँ नहिँ कोई अपना।
धोखा देते लोग,जगत है सुंदर सपना।।
सीमा अपनी बात , हृदय की सदा छिपाओ।
तुमको रहे पुकार,साँवरे मार्ग दिखाओ।।
धन कमाना हैं चाहते, काला करते काम।
मार्ग दिखाओ राम जी, बाँह हमारी थाम।।
बांह हमारी थाम ,आप ही पार लगाओ।
सही गलत का ज्ञान,हमें अब तुम समझाओ।।
सीमा रहना नेक, खुशी से झूमे तन मन।
लोभ मोह से दूर , स्वस्थ मन असली है धन।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’