कुंडलियां छन्द
कारे बदरा छा गये, छम छम बरसे बूँद
राधा देखे श्याम को , अपनी आँखे मूँद
अपनी आँखे मूँद , भरे वह ठंडी आहें
कलियाँ बनती फूल , सजी हैं मन की राहें
देखा रूप अनूप , निहारे मोहन प्यारे
गये ह्रदय में डूब , गरजते बदरा कारे
पुष्प लता शर्मा
कारे बदरा छा गये, छम छम बरसे बूँद
राधा देखे श्याम को , अपनी आँखे मूँद
अपनी आँखे मूँद , भरे वह ठंडी आहें
कलियाँ बनती फूल , सजी हैं मन की राहें
देखा रूप अनूप , निहारे मोहन प्यारे
गये ह्रदय में डूब , गरजते बदरा कारे
पुष्प लता शर्मा