कुंडलियाँ
—–कुंडलियाँ—–
लड़िके आवारा भएँ,
सिक्षक भें बेहाल।
हे भैया! स्कूल अब,
खोलि देउ तत्काल।।
खोलि देउ तत्काल,
न देरी तनिक लगावो।
लड़िकन का बदमास,
उचक्का नाहिं बनावो।।
कह प्रीतम कविराय,
कहीं करोनवम पड़िके।
होएँ ना बरबाद,
गाँव- गिराँव कै लड़िके।।
प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती (उ०प्र०)