कुंडलियाँ
कुंडलियाँ
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साधक थे विज्ञान के,
गढ़कर ज्ञान कलाम।
दिया मिसाइल देश को,
तब है उनका नाम।।
तब है उनका नाम,
हिन्द को सबकुछ माना।
बना देश का मान,
जगत ने भी है जाना।।
कह डिजेन्द्र करजोरि,
नही अब कोई बाधक।
देश किया मजबूत,
नित्य ही बनकर साधक।।
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रचनाकार डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”