कुंडलियाँ
कुंडलियाँ
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जिज्ञासा बेटी तुम्हे,
खुशियाँ मिले हजार।
मात-पिता की लाडली,
नित ही पाओ प्यार।।
नित ही पाओ प्यार,
पूर्ण हो सपना दूना।
तुम बिन तब घरबार,
लगा था सूना-सूना।।
कह डिजेन्द्र करजोरि,
जनम था तुम बिन प्यासा।
तुझमे मेरा प्राण,
सुता प्यारी जिज्ञासा।।
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डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”