कुंडलियाँ
वोटतंत्र की मार से, लोकतंत्र लाचार.
जनता व्याकुल पीस रही, फैला भ्रष्टाचार.
फैला भ्रष्टाचार, मार जनता ही खाती.
संसद सेवा विमुख, विपुल सत्ता सुख पाती.
संविधान की आड़ में, करते काले करतुत.
लोकतंत्र की ऐसी-तैसी, बैठे कुरसी पर पूत.
वोटतंत्र की मार से, लोकतंत्र लाचार.
जनता व्याकुल पीस रही, फैला भ्रष्टाचार.
फैला भ्रष्टाचार, मार जनता ही खाती.
संसद सेवा विमुख, विपुल सत्ता सुख पाती.
संविधान की आड़ में, करते काले करतुत.
लोकतंत्र की ऐसी-तैसी, बैठे कुरसी पर पूत.