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23 Mar 2022 · 1 min read

कुंडलियाँ

बीते दिन की बात है, दिखे गाँव में बैल
न‌ई हवा ने भर दिया, सबके मन में मैल )
सबके मन में मैल, नहीं घानी भी दिखती
न्यारे तेरे खेल,खाद भी शुद्ध न बिकती

मारे-मारे फिरें , रहे जल दूषित पीते

शुद्ध न खाया तेल, दिवस अनगिन हैं बीते
मनोरमा जैन पाखी

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