“की एक जाम और जमने दे झलक में मेरे ,🥃
“की एक जाम और जमने दे झलक में मेरे ,🥃
बेसुध हूँ , मधुशाला में झपकने दे ,पलक ये मेरे l🧏
अंतर्मन मौन , रसना है आतुर , 🤦
मधुशाला है दूर ,बारिश हुई है भरपूर , 🌈🌦️🌦️
पकौड़े संग पेप्सी का एक ज़ाम ही तो है ,🥤🍺
उतरने दे हलक से मेरे l”😁😎😄😂
नीरज कुमार सोनी
“जय श्री महाकाल”