कीमत
✒️जीवन ?की पाठशाला ?️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इंसान को जिंदगी में कीमत बोल कर भी चुकानी पड़ती है जैसे द्रौपदी को दांव पर रख कर पांडवों ने चुकाई और चुप रह कर भी जैसे भीष्म पितामह ने चुकाई …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इंसान का चेहरा गर दुकान है तो जुबान उस दुकान की सुरक्षा का ताला ,और उस ताले के खुलने पर ही पता चलता है की जीभ रूपी लॉकर सोने से बना है या कोयले की खाद्दान है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जरुरत से ज्यादा सोचना -दिन रात बीते कल का पछतावा और आने वाले कल की चिंता आपको सकारात्मक से नकारात्मक में परिवर्तित कर देगी और आपमें इस तरह की नकारात्मकताओं का विकास कर देंगी जो वास्तविकता में धरातल पर नहीं है …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की जो भाग्य में है वो जाकर भी भाग कर आएगा और जो भाग्य में नहीं है उसको कितना भी जबरदस्ती पकड़ने की कोशिश करें वो हाथ और तक़दीर से चला जायेगा ,शायद इसीलिए कहा गया है की संतोषी सदा सुखी और आज में रहना चाहिए ना बीते कल में और ना ही आने वाले कल में …क्यूंकि जो अभी है वही जिंदगी है …!
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क ? है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
?सुप्रभात ?
आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
?जयपुर -राजस्थान ?